जब भी सावन का मौसम आता है और बारिश की फुहार के बीच में जब हलवाई की दुकान से घेवर की भीनी भीनी खुशबू आती है, तो पता चल जाता है कि अब तीज आ गई है| और घेवर को देखते ही मुंह में पानी आ जाता है | सावन साल में एक बार ही आता है और सावन की तीज भी एक बार आती है | जब हम छोटे थे तब हमें सावन का कुछ पता नहीं होता था लेकिन जब भी हलवाई की दुकान के सामने से गुजरते थे,और घेवर का ढेर लगा हुआ देखते थे तो हमें समझ में आ जाता था कि अब तीज आ गई है |
क्योंकि राजस्थान में तीज का त्यौहार बहुत जोर शोर से मनाया जाता है, और तीज से लेकर राखी तक तरह-तरह के घेवर का स्वाद लेने का मजा आ जाता है | क्योंकि राजस्थान में बहुत तरह से घेवर बनाए जाते हैं,जैसे मलाई का, रबड़ी का, साधा घेवर आदि | राजस्थान में तीज पर घेवर ना सिर्फ घरों में खाए जाते हैं,बल्कि अपने रिश्तेदार बहन – बेटियों के यहां पर भी भेजने का रिवाज हैं | इससे आप समझ ही सकते हैं कि राजस्थान में घेवर का प्रचलन कितना ज्यादा है |इसे बनाने के लिए मैदा, देसी घी, चीनी, ड्राई फ्रूट आदि का प्रयोग किया जाता है |
रबड़ी का घेवर कैसे बनाया जाता है
हलवाई इसे बनाने के लिए एक स्टैंसिल या सांचे का उपयोग करता है, जो गोल होता है| उन्हें कढ़ाई के बीच में रखकर उसमें घोल को धीरे-धीरे डालकर बनाया जाता है | कढ़ाई समतल तले की होती है घेवर गोल और जालीदार होता है, जिस पर चीनी की चाशनी चढ़ाई जाती है, और बाद में उस पर रबड़ी और मेवे लगाए जाते हैं ।| घेवर आप घर पर भी बना सकते है, इसे देखने से लगता है कि बनाना मुश्किल है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है ये आसान है |
घेवर बनाने की सामग्री.
- मैदा – 250 ग्राम (2 )कप
- बेसन – 2 चम्मच
- घी – 50 ग्राम ( 1/4 कप)
- दूध – 50 ग्राम (1/4 कप)
- नींबू का रस -1 छोटा चम्मच
- ठंडा पानी – 4 कप
- घी या तेल – घेवर तलने के लिये
चाशनी की सामग्री
- चीनी – 2 कप
- पानी – 200 ग्राम (1 कप)]
- इलायची पिसी हुई – 5 – 6
रबड़ी बनाने की सामग्री
- दूध – 1 kg
- चीनी – 50 ग्राम
- केसर की पत्ती -10 – 12
- बदाम के टुकड़े – 8 – 10
- इलायची पिसी हुई – 5 – 6
- पिस्ते कटे हुए – 7 – 8
- केवड़े की बूंदें – 2 – 3
घेवर की रबड़ी बनाने की विधि
1.सबसे पहले आप 1 किलो दूध लें और उसे गैस पर गरम होने के लिए रख दें |
2. दो चम्मच गर्म दूध में केसर की पत्ती डाल कर रख दें |
3. जब दूध में तेज उबाल आ जाए,तो गैस को धीमी आंच पर कर दें | और दूध को गाढ़ा होने दे रबड़ी बनाने के लिए है|
4. दूध को उबालना है जब तक कि दूध एक तिहाई रह जाए | रबड़ी काफी गाड़ी होनी चाहिए |
5. बीच-बीच में दूध को चलाते जाए जिससे वह तले पर ना चिपके |
6. जब दूध गाढ़ा होने लगे तो उसमें इलायची पाउडर केसर वाला दूध और केवडे की बूंदे डालकर चला दें |
7. जब दूध गाढ़ा हो कर एक तिहाई रह जाए तब रबड़ी में दो टेबल स्पून चीनी डालकर 3 से 4 मिनट और पकाएं |
8. अब आप गैस को बंद कर दीजिए | आप की रबड़ी दीवार पर लगाने के लिए तैयार है |
चाशनी बनाएं
1.अब घेवर पर चासनी चढ़ाने के लिए चाशनी तैयार करें, एक बर्तन में 2 कप चीनी और 1 कप पानी डालकर गैस पर रखें और उबालें |
2. चासनी को बीच-बीच में चलाते जाए, उबाल आने के बाद 5-6 मिनिट तक पकाइये |
3. फिर चाशनी को चम्मच से लेकर एक बूंद किसी कटोरी या प्लेट में डालें |
4. ठंडा होने पर उंगली और अंगूठे के बीच चिपका कर देखें की उंगली और अंगूठे के बीच एक तार बन रहा है |
5 अगर एक तार बन रहा है तो आप गैस को बंद कर दीजिए नहीं तो थोड़ा सा और उबाले, हमें एक तार की चाशनी बनानी है |
6. चाशनी एक तार से ज्यादा गाड़ी ना हो नहीं तो घेवर पर चीनी की परत जम जाएगी |
घेवर बनाने की विधि
1.सबसे पहले एक बर्तन में मैदा और बेसन को छान लें |
2. अब घी को किसी बड़े बर्तन में डाल लें और बर्फ के 5 से 6 टुकड़े डालकर हाथ से फैटिये, फैंटते फैंटते घी जब मक्खन जैसा सफेद को जाए तब बर्फ के टुकड़े निकाल दें |
3. अब इसमें थोड़ी थोड़ी मैदा और दूध डालकर फैटिये | मैदा एक साथ सारी ना डालें |
4. अब आप थोड़ी थोड़ी मैदा डालते जाए साथ में पानी भी डालते जाए और उसे लगातार फैंटते जाएं |
5. सारी मैदा और नींबू का रस डालकर अच्छी तरह फैटें और एक चिकना पतला घोल बना लें |
6. घोल इतना पतला होना चाहिए कि कढ़ाई में डालते समय वह एक धार में गिरे |
7. घोल में कोई भी गुठली नहीं रहनी चाहिए घोल बहुत चिकना होना चाहिए |
घेवर को तलना
1.एक पतीला ले मीडियम साइज का जिसका सतह मोटा हो |
2. उसमे घी डालें पर आधे पतीले से कम, अगर घी ज्यादा डाल दिया तो वह पतीले से बाहर निकल जाएगा |
3. अब घी को गर्म करें, घी तेज गर्म होना चाहिए,क्योंकि जब हम उस में घोल डालें तो मैदा की बूंदे तुरंत ऊपर आनी चाहिए |
4.अब मैदे के घोल को किसी चमचे या बोतल मैं भरकर धीरे-धीरे पतली धार से इस गरम घी में डालें, घोल डालने पर घी से उठे झाग ऊपर दिखाई देने लगेंगे |
5. जब घी के ऊपर झाग खत्म होने लगे तब फिर से दूसरा चमचा घोल भरकर बिलकुल पतली धार से घोल घी मे डालें,घोल में फिर से झाग आ जाएंगे, आप फिर से घोल डालना बंद कर दें |
6. जब झाग बंद हो जाए तब फिर यही प्रक्रिया दोहराएं ऐसा 5 से 6 बार करें |
7. जितना बड़ा घेवर बनाना चाहते हैं उसके हिसाब से उतना ही घोल डालें जब तक कि घेवर अपने आकार में आ जाए |
8. घोल को भगोने के बीच में डाला जाता है, यह घोल नीचे तले में जाता है और तैर कर वापस ऊपर आता है और एक से दूसरी परत के रूप में चढ़ता जाता है |
9. यदि घेवर में बीच में जगह न रहे तो आप किसी चमचे की पतली डंडी या बेलन के पतले हिस्से से बीच मैं थोड़ी जगह बना लें|
10. इसी जगह से घोल को डालते जाएं जब तक घेवर का आकार सही और एकदम गोल न हो जाय|
11. जब घेवर अपने आकार में आ जाए तब उसे मध्यम आंच पर धीरे-धीरे गोल्डन होने तक पकने दें |
12. फिर चमचे के पतले हिस्से या लकड़ी की पतली छड़ डालकर धीरे से निकाले |
13. किसी प्लेट पर छलनी या कटोरी रखें, फिर उस पर घेवर रखें जिससे सारा एक्स्ट्रा घी निकल जाए |
14. इसी तरह सारे घेवर तैयार करें और एक के ऊपर एक रखते जाए |
घेवर पर रबड़ी कैसे लगाएं
1.अब आप एक प्लेट या थाली ले, उस पर एक छलनी रखें और उस पर एक घेवर रख ले, फिर धीरे-धीरे गर्म चाशनी को उसके ऊपर फैलाएं |
2. जब घेवर पर चाशनी डालेंगे तो एक्स्ट्रा चाशनी छलनी से नीचे चली जाएगी |
3. अब इस घेवर पर आप ऊपर से रबड़ी फैलाएं, और उस पर पिस्ता और बादाम के टुकड़े डालें |
4 आपका घेवर बनकर तैयार हैैै, इसी तरह सारे बना ले |
ध्यान रखें
- घेवर बनाते समय घोल ठंडा रहना चाहिए गर्म नहीं होना चाहिए नहीं तो ये अच्छे नहीं बनेंगे |
- घेवर पर चाशनी और रबड़ी खाते समय ही चढ़ाएं , रबड़ी लगाने ये जल्दी खराब हो जाता है |
- रबड़ी वाले घेवर को आप फ्रिज में ही रखें |
- बिना चाशनी और रबड़ी के घेवर को आप 10 दिन तक रख सकते हैं वे खराब नहीं होते हैं |